आंसू सूखे, तो निकलते नहीं
रोते हुए मर्द
सुने हैं, देखें तो नहीं।
दु:खों से, भरा है मन
सूक्ष्म है उनका रूदन
आंसू सूखे, तो निकलते नहीं
रोते हुए मर्द
सुने हैं, देखें तो नहीं।
किसे जाकर घाव दिखाएं?
किसके हाथों मरहम कराएं?
यहां संवेदना का,कोई अर्थ नहीं
रोते हुए मर्द
सुने हैं, देखें तो नहीं।
सख़्त मर्द रोते नहीं
अपना दर्द जताते नहीं
इनमें सौम्यता का भाव नहीं
रोते हुए मर्द
सुने हैं, देखें तो नहीं।
श्रेणी: jeewan
तलाश
फिरते हैं चमन में खुशबू तलाशते
नजानें वो कौन सी बहारों में होगी।
दिखती है जितनी आसान ज़िंदगी
उनके बगैर फिर गवारा न होगी।
गुज़र रहा है वक्त उनकी तलाश में
बीत रही हर घड़ी मौसम बहार की।
अंधेरों में, कहां आसां हैं? जिंदगी
आने से उनके ये रोशन तो होगी।
रेस
आदमी चाहे तुम जो भी हो
जो भी हो ये पढ़ने वाला
इस वक्त गम में है या खुशी में
ये वक्त तो हैं गुज़रने वाला।
जो टिका है वो जीता है
जो डिगा है वो हारा
हालातों से जो न घबराया
मुट्ठी में उसकी जग सारा।
लिखा है तकदीरों में
यहां सबका आना जाना
ज़िंदगी है कोई रेस नहीं
न ही कोई जीतने वाला।