रोते हुए मर्द



आंसू सूखे, तो निकलते नहीं
रोते हुए मर्द
सुने हैं, देखें तो नहीं।

दु:खों से, भरा है मन
सूक्ष्म है उनका रूदन
आंसू सूखे, तो निकलते नहीं
रोते हुए मर्द
सुने हैं, देखें तो नहीं।

किसे जाकर घाव दिखाएं?
किसके हाथों मरहम कराएं?
यहां संवेदना का,कोई अर्थ नहीं
रोते हुए मर्द
सुने हैं, देखें तो नहीं।

सख़्त मर्द रोते नहीं
अपना दर्द जताते नहीं
इनमें सौम्यता का भाव नहीं
रोते हुए मर्द
सुने हैं, देखें तो नहीं।

बकवास


क्या बकवास है।
“X ,Y को अहमियत दे रहा है, पर Y की नज़र में X की कोई अहमियत नही।
Y, Z को अहमियत दे रहा है पर Z की नज़र में Y की कोई अहमियत नही।
पर वो बंदा Z, X को अहमियत दे रहा है और X की नज़र में Z की कोई अहमियत नही।”

सिगरेट और तुम


सिगरेट और तुम

तुम्हें पाने की जब जब तलब उठती है
दिल में कोई टीस सी तड़प उठती है।

जुबां पर लगाता हूं फिर सुलगाता हूं,
सारी परेशानियां धुआं कर जाता हूं।

अतीत की यादों में जब भी खो जाता हूं,
मदहोश होकर तुम्हें खुद में ही पाता हूं।

होठों पर रखकर सिगरेट सुलगाता हूं।
दिल की कसक को सिगरेट से बुझाता हूं।

धुएं के गुबारों में चेहरा तुम्हारा पाता हूं,
सीने में भरके धुआं,दिल से तुम्हें मिटाता हूं।

सिगरेट और तुम, दोनो तलब जगाते है।
कुछ पल ही सही सारे गम भूल जाते हैं।