हेकड़ी


भ्रष्ट, बेईमान, हरामखाऊ, ये साले रिश्वतखोर धूर्त
ये दो कौड़ी की औकात भी न रखने वाले रईसजादे
इतने बेशर्म है और नासमझ बनते है
जैसे ये सही गलत बातों से परे है,
और अनभिज्ञ है अच्छाई और बुराई से,
इनका मानवता से कोई वास्ता नहीं है
इसीलिए इनकी हेकड़ी निकालने और
अकल ठिकाने लाने के लिए पारदर्शी कानून चाहिए।

आम खास



इज्जत न मिल रही हो मित्रा
तो युवा नेता तुम बन जाओ।
हराम की पचाना हो मित्रा
तो नीच रेखा में आ जाओ।

क्यूंकि आम होने की देश में
अब हो गई है मनाही।
घटती कमाई, बढ़ती महंगाई
अब यहां नहीं है कोई सुनवाई।

भाई मेरे कोई जुगत लगाओ
आम से खास तुम हो जाओ।
लाचार,गरीब,दलित बन जाओ
किसान,नेता, या दिवालिया हो जाओ।

कुछ न हो तो बाबा बन जाओ
या फिर सरकारी बाबू हो जाओ।
चैन से जीना, हो गया हो दुभर तो
आम से खास तुम बन जाओ।

तैयारी



मेरे देश के साक्षर युवा
लगन से कर रहे तैयारी।
किसी भी हालत में बनना है
इनको आदमी सरकारी।

भर्ती फॉर्म कोई भी हो
चपरासी हो या अधिकारी।
बैठ के कुर्सी तोड़ने मिल जाए
नौकरी मिल जाए सरकारी।

भले हो देश की बर्बादी
भ्रष्टाचार , बढ़े महंगाई।
पगार टाइम पर आ जाए
नौकरी चाहिए  सरकारी।

आम आदमी का अधिकार
या मारेंगे खून पसीने की।
रिश्वत से  देश चलाएंगे
बस बन जाए ये सरकारी।

बाप दादा भी थे सरकारी
इनको भी बनना अधिकारी।
रिश्वत-खोर बाप-दादा थे
ये भी बनेंगे भ्रष्टाचारी।

क्यूं  है लोभ सरकारी का?
फैली हो जैसे बीमारी?
जहां देखो वहां, बेरोजगार युवा
बस कर रहा क्यूं तैयारी?