तलाश


फिरते हैं चमन में खुशबू तलाशते
नजानें वो कौन सी बहारों में होगी।
दिखती है जितनी आसान ज़िंदगी
उनके बगैर फिर गवारा न होगी।

गुज़र रहा है वक्त उनकी तलाश में
बीत रही हर घड़ी मौसम बहार की।
अंधेरों में, कहां आसां हैं? जिंदगी
आने से उनके ये रोशन तो होगी।