ऋण


मददगारों ने मदद का विचार त्याग दिया

तो सूदखोरों ने ब्याज का धंधा चलाया।

जब हरामखोरों ने उधार न चुकाया तो

तो जरूरतमंदों को ऋण न मिल पाया।